CHITRANJALI NATIONAL LEVEL PHOTOGRAPHY FESTIVAL, CHITRANJALI PHOTOGRAPHY COMPETITION JABALPUR

Special Articles By Ravindra Bajpayee

नेगेटिव को पॉजीटिव बनाने में माहिर एक शानदार इंसान....

मुझे याद नहीं उनसे परिचय कब हुआ किन्तु जब हुआ तब संबंधों में आत्मीयता ऐसी समाई कि जीवन भर बनी रही। स्व. महेन्द्र चौधरी ये ही ऐसे व्यक्ति जो ब्लैक एण्ड व्हाईट फोटोग्राफी के दौर में भी जीवन को बहुरंगी बनाना जानते थे। छोटे कद के महेन्द्र भाई बेहद बड़े दिल के इंसान थे। मेरा निवास उनके घर से बेहद करीब था। हनुमानताल इलाका नगर के प्रतिष्ठित परिवारों का आवासीय केन्द्र हुआ करता था। चौधरी जी भी अपने विशाल पुश्तैनी मकान में रहते थे। एक ही मोहल्ले के होने से हम लोगों के बीच रिश्तों में अनौपचारिकता भी सहज रूप से घुलती गई। आयु में बड़े होने के बाद भी उनके भीतर वरिष्ठता की उसक कदापि नहीं थी। मेरे ही नहीं वरन् हर व्यक्ति के साथ वे अपनी चिपरिचित मुस्कान के साथ ही रूबरू होते थे। फोटोग्राफी उनका पारिवारिक पेशा नहीं था। उस दौर में इसमें कोई विशेष आय, सम्मान और पूछ परख भी नहीं थी। लगता है प्रारब्ध ने महेन्द्र भाई को इस विधा की तरफ धकेला परन्तु अपने पुरूषार्थ से उन्होंने न सिर्फ अपने अपितु प्रेस फोटोग्राफी के प्रति सम्मान भी पैदा किया और आकर्षण भी। उनके दौर में अन्य छायाकार भी अखबारों के लिये कार्य करते थे। परन्तु चौधरी जी की चपलता बेमिसाल थी। 1975 की जनवरी में मालवीय चौक पर श्री अटल बिहारी बाजपेयी की विराट आमसभा शरद यादव के समर्थन में हुई थी। अटल जी को सुनने सनसैलाब उमड़ पड़ा। चारों तरफ के रास्ते बंद थे। भाषण शुरू करने से पूर्व मंच पर आँखे कर बैठे बाजपेयी जी का चित्र चौधरी जी ने खींचा। न जाने वे कब सभास्थल से गए और भाषण समाप्त होने तक उसका बड़ा सा प्रिन्ट बनाकर लौट भी आए। उन्होंने मंच पर जाकर अटल जी को वह चित्र दिखाकर उस पर आटोग्राफ माँगा। तब वे चौंक गये और विस्मय के साथ पूछा कि ये अभी का है ? इतनी जल्दी बन कैसे गया? फिर उन्होंने चित्र पर इस टिप्पणी के साथ हस्ताक्षर किए 'निद्रा में नहीं अपितु चिंतन में लीन'|

रविंद्र बाजपेयी